बृहस्पति
ग्रह पर
एक नया
तूफान
आया है|
हमारी
पृथ्वी
से कई
गुना चौड़ा
तूफान|
इस तूफान
से हरे
रंग की
रोशनी
निकल रही
है|
गैस से
भरे इस
ग्रह पर
नया तूफान
देखकर
वैज्ञानिक
हैरान
हैं|
असल हैरानी
हरे रंग
की रोशनी
देखकर
है|
वहां हरे
रंग की
बिजली
कड़क रही
है|
बृहस्पति
ग्रह पर
एक भयानक
सफेद रंग
का तूफान
उठा है|
जिसकी
चौड़ाई
हमारी
धरती से
ज्यादा
है |
ये तूफान
बृहस्पति
के विशालकाय
लाल-भूरे
रंग की
बेल्ट
पर आया
है|
यह तूफान
एक तरफा
नहीं है
, बल्कि
ये घुमावदार
है|
जैसे धरती
पर चक्रवाती
तूफान
आता है|
ठीक वैसा
ही इसमें
से हरे
रंग की
बिजली
कड़क रही
है |
बृहस्पति
ग्रह पर
गैसों
के बादलों
का जमावड़ा
है|
जिसके
वजह से
बृहस्पति
ग्रह के
बाहरी
वायुमंडल
का रंग
हमेशा
बदलता
रहता है|
कोई भी
वस्तु
एक जगह
पर ठीक
वैसे ही
नहीं रहती,
जैसी कुछ
दिनों
पहले दिख
रही होती
है| एस्ट्रोफोटोग्राफर
माइकर
कार्रेर
ने बृहस्पति
के तूफान
की फोटो
ली है
| इस दौरान
उनको इसमें
हरे रंग
की रोशनी
दिखी |
इतना
बड़ा
तूफान
की
पूरी
पृथ्वी
को
निगल
ले
संभावना
है कि
ये तूफान
बेहद विशालकाय
हो क्योंकि
अभी तक
इसका आकार
नहीं नापा
गया है|
लेकिन
इतना जरूर
है कि
ये तूफान
आराम से
पूरी पृथ्वी
को निगल
सकता है|
इसके बावजूद
उसमें
जगह बच
जाएगी|
यह तूफान
बहुत लंबे
समय तक
नहीं रहेगा
| जैसा बृहस्पति
पर मौजूद
विशालकाय
रेड जायंट
है, ये
टूट जाएगा|
हरे
रंग
की
रोशनी
क्यों
निकलती
है
?
जहां
तक बात
रही हरे
रंग की
रोशनी
की तो
जॉन रॉजर्स
कहते हैं
कि ये
रोशनी
अलग-अलग
केमिकल
और गैसों
वाले बादलों
टकराने
से बन
सकती है
| इससे पहले
भी यहां
अलग-अलग
रंग की
बिजलियां
देखी गई
हैं| इसी
बेल्ट
पर एक
तूफान
1973 में आया
था, जो
1991 में खत्म
हुआ था|
इसके बाद
वैसा तूफान
2010 में कुछ
समय के
लिए आया
| इससे बेल्ट
के रंग
में थोड़ा
बदलाव
आता है|
लेकिन
ज्यादा
समय के
लिए नहीं|
धरती
और
बृहस्पति
की
बिजली
में
अंतर
जब
बृहस्पति
के वायुमंडल
गैसों
के बादल
टकराते, रगड़ते
या घूमते
हैं तो
इस तरह
की बिजलियां
पैदा होती
हैं| धरती
पर बिजली
कड़कती
है तो
उसमें
नीले रंग
का प्रभाव
ज्यादा
होता है
| क्योंकि
धरती पर
पानी की
बूंदें
मौजूद
होती हैं|
लेकिन
ज्यूपिटर
पर बिजलियां
हरे रंग
में कड़कती
हैं, क्योंकि
वायुमंडल
में अमोनिया
ज्यादा
है |